जयपुरPublished: Apr 12, 2021 11:18:52 pm
Deovrat Singh
Success Story: राजस्थान की रहने वाली उम्मुल खेर का परिवार गरीब और अशिक्षित था जो गुजर बसर के लिए दिल्ली चला आया था। जब उम्मुल 5 साल की थी तब परिवार दिल्ली आया तो हजरत निजामुदीन के पास बारापुला में झुग्गी बस्ती के निकट रहने लगे।
Success Story: राजस्थान की रहने वाली उम्मुल खेर का परिवार गरीब और अशिक्षित था जो गुजर बसर के लिए दिल्ली चला आया था। जब उम्मुल 5 साल की थी तब परिवार दिल्ली आया तो हजरत निजामुदीन के पास बारापुला में झुग्गी बस्ती के निकट रहने लगे। यहाँ घर को झुग्गी न कहकर झुग्गी का रूप मान सकते हो जो बल्ली-फट्टों से बना हुआ था जिसमें चटाइयां लगी हुई थी, जिसमें फर्श भी कच्चा था। घर की छत तारपोलिन की थी जिसके कारण बारिश के दिनों में जगह -जगह बाल्टियां रखनी पड़ती थी। घर के पीछे ही नाला था जो अत्यधिक बहाव के चलते घर में पानी घुस जाता है। बचपन बहुत ही विकट परिस्थितियों में बिता था। 2001 में वो झुग्गियां भी टूट गई जिससे एकबार तो बेघर की तरह हो गए। ऐसे समय बारापुला से त्रिलोकपुरी में एक सस्ता घर लेकर रहने लगे। उम्मुल के पापा रेलवे जंक्शन के किनारे सामान बेचा करते थे जो घर बदलने पर वो भी छूट गया। उन परिस्थितियों में उम्मुल ने त्रिलोकपुरी में ही बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, उस वक्त खुद भी 7वीं कक्षा में थी। एक बच्चे की फीस 50 रूपए महीना हुआ करती थी जिसमें 2 घंटे रोजाना भी पढ़ाना पड़ता था। बच्चों को पढ़ाकर बमुश्किल कमरे का किराया और खाने का पैसा इकट्ठा किया जाता था।